Friday, August 5, 2016

गो-सेवा केन्द्रित जीवन पद्धति

दुर्भाग्य से गाय आज देश में साम्प्रदायिक तनाव का मुद्दा बन गई है यह बात ध्यान देने योग्य है कि भारत में केवल एक राज्य ऐसा है जहां सदियों से गोवध पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है और वह है जम्मू-कश्मीर इसीलिए कभी भी इस राज्य में सामाजिक तनाव की परम्परा नहीं रही है गाय किसकी है इस सवाल ने गाय का सबसे अधिक नुकसान किया है। आधुनिकता की होड़ में गाय को अकेला छोड़ दिया है इसको मारने वाला ना हिन्दू है ना मुसलमान वरन आजकी जीवन पद्धति है।
इसीलिए पुनः गौसेवा केन्द्रित जीवन पद्धति को हमारे समाज में वापस लाना होगा इससे ना केवल बचपन से ही परिवारों के जीव मात्र के प्रतिनिधि के रूप में गाय के प्रति संवेदना जागेगी। अपितु महिलाओं और बच्चों को पर्याप्त पोषण भी मिलेगा इस प्रकार जब घरो में पलने वाली गाय जब दूध देना बन्द कर देगी तब उनकी देखभाल ग्राम की गौशालाएं किया करेंगी इसीलिए गौशालाओं की स्थापना के कार्य को गोसंवर्धन के लिए एक आन्दोलन के रूप में चलाने की आवश्यकता है ये गोशालाएं ग्रामोद्योगों का केन्द्र बनेंगी और देहात में गोचर व्यवस्था को फिर से कायम करने में सक्रिय होगीं तभी संभव होगी गोचर केन्द्रित कृषि व्यवस्था की पुर्नस्थापना जो भारत की टिकाऊं खेती-बाड़ी का मेरूदण्ड था। तभी संभव होगा गोसेवा से ग्रामोत्थान और तभी घटित होगी देश भर में ग्रामोत्थान से समानता और सद्भावना की सम्पूर्ण क्रांति। ----- साभार कुछ तो करना ही होगा

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