Monday, February 20, 2012

हर-हर महादेव...

आज महा शिवरात्रि का पावन पर्व है...हर साल की तरह इस साल भी मन्दिर गया था सुबह-सुबह भोले शंकर को जल चढ़ाने... लेकिन इस बार अपने गांव नहीं बल्कि दिल्ली में घर से जब निकला कि तो लगा कि मन्दिर में भीड़ होगी लेकिन वहां पहुंचने पर तो एक-दो ही शिव भक्त ऊँ नमः शिवाय बोलते हुए जल चढ़ा रहे थे। तरस आने लगी लोगों के उपर लोग इतने व्यस्त हो गए कि अब उन्हें भगवान के लिए भी एक पल नहीं निकाला जाता... सब लोग अपने में मस्त इसी को सोचकर पुराने दिन याद आ जाते हैं... जब हम लोग छोटे थे गांव से कुछ दूर शिव मन्दिर है जहां पर आस-पास के गांवों के लोग जल चढ़ाने के लिए इकट्ठा होते थे। जल चढ़ाने के लिए इतनी भीड़ होती थी कि अगर कोई कमजोर व्यक्ति रहे तो उस भीड़ में ही दब जाए... जल चढ़ाने के बाद सब लोग मेला घुमते थे। शाम को लोग मन्दिर के पास ढोल- हारमोनियम लेकर फाग गाने बैठ जाते थे। बड़ा मजा आता था सुनकर क्योंकि हम लोगों को भी छोटी वाली झाल बजाने को मिलती थी। बड़ा मजा आता था जब ढोल की ताल से ताल मिलाया जाता था। कितना हसीन था वो पल... अब तो यही लगता है कि सारी यादें अब धुमिल होने लगी हैं...सब लोग बस अपने में मस्त है...
“हमें अपनों से कब फुर्सत गैरों से हम कब खाली, चलो हो चुका मिलना-जुलना ना हम खाली ना तुम खाली।”